पृथ्वी की हलचल से हुई तबाही और उसके अमिट निशानों के सबूत अब सबके सामने लाए जाएंगे।
2.
“यह भी हो सकता है कि पृथ्वी की हलचल ने किसी नदी की जलधारा को इधर मोड़ दिया हो।
3.
” यह भी हो सकता है कि पृथ्वी की हलचल ने किसी नदी की जलधारा को इधर मोड़ दिया हो।
4.
अगर आदमी बन्दर से बना तो बन्दर अभी भी क्यों है, वे आदमी क्यों नहीं बन पाये. पृथ्वी की हलचल यूंही विनाश करती रहेगी.
5.
भूवैज्ञानिक दृष्टि से शिवालिक पहाड़ियाँ मध्य-अल्प-नूतन से लेकर निम्न-अत्यंत-नूतन युग के बीच में, सुदूर उत्तर में, हिमालय के उत्थान के समय पृथ्वी की हलचल द्वारा दृढ़ीभूत, वलित एवं भ्रंशित हुई हैं।
6.
भूवैज्ञानिक दृष्टि से शिवालिक पहाड़ियाँ मध्य-अल्प-नूतन से लेकर निम्न-अत्यंत-नूतन युग के बीच में, सुदूर उत्तर में, हिमालय के उत्थान के समय पृथ्वी की हलचल द्वारा दृढ़ीभूत, वलित एवं भ्रंशित हुई हैं।
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भूवैज्ञानिक दृष्टि से शिवालिक पहाड़ियाँ मध्य-अल्प-नूतन से लेकर निम्न-अत्यंत-नूतन युग के बीच में, सुदूर उत्तर में, हिमालय के उत्थान के समय पृथ्वी की हलचल द्वारा दृढ़ीभूत, वलित एवं भ्रंशित हुई हैं।